2035 तक हर दो कारों में से एक इलेक्ट्रिक वाहन होगी। जिसमें भारत, लैटिन अमेरिका, जापान और दक्षिण पूर्व एशिया से सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद है। पिछले वर्ष की तुलना में वैश्विक ईवी बिक्री में वर्ष-दर-वर्ष 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
2035 तक हर दो कारों में से एक इलेक्ट्रिक वाहन होगी। जिसमें भारत, लैटिन अमेरिका, जापान और दक्षिण पूर्व एशिया से सबसे ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद है। काउंटरपॉइंट टेक्नोलॉजी मार्केट रिसर्च की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
काउंटरपॉइंट रिसर्च एक वैश्विक शोध फर्म है जो टेक्नोलॉजी, मीडिया और दूरसंचार उद्योग में उत्पादों में विशेषज्ञता रखती है। ऑटोमोबाइल उद्योग, विशेष रूप से ईवी सेगमेंट, एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहां इसका उपयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
जहां 2024 में पैसेंजर व्हीकल मार्केट में ज्यादा बढ़त नहीं दिखी, वहीं इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) की मांग ने एक अलग ही कहानी लिखी। काउंटर पॉइन्ट की ताजा ग्लोबल पैसेंजर व्हीकल फोरकास्ट रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में ग्लोबल पैसेंजर व्हीकल की बिक्री सिर्फ 1 प्रतिशत बढ़ी। इसकी वजह अंतरराष्ट्रीय तनाव, मंदी का डर और बड़े बाजारों में उपभोक्ताओं द्वारा कम खर्च करना रहा, जिससे ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री की ग्रोथ थोड़ी धीमी पड़ी।
इलेक्ट्रिक व्हीकल की बिक्री में भारी इजाफा
ग्लोबल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) की बिक्री में पिछले साल की तुलना में साल-दर-साल 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। (यहां बिक्री का मतलब थोक आंकड़ों से है – संबंधित ब्रांडों द्वारा कारखानों से डिलीवरी) बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (BEVs) की बिक्री में 10 प्रतिशत की बढ़त हुई। वहीं, प्लग-इन हाइब्रिड व्हीकल्स (PHEVs) की बिक्री 49 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
किन देशों में होगी सबसे ज्यादा ग्रोथ?
रिपोर्ट के मुताबिक, काउंटरपॉइन्ट के सीनियर एनालिस्ट सौमेन मंडल ने बताया कि 2035 तक चीन में बैटरी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (BEVs) की बिक्री 60 प्रतिशत से ज्यादा हो सकती है।
हालांकि, सबसे तेज ग्रोथ भारत, लैटिन अमेरिका, जापान और दक्षिण-पूर्व एशिया में देखने को मिलेगी।
सौमेन मंडल कहते हैं, “भारत और जापान में लोकल ब्रांड्स EV मार्केट में आगे रहेंगे। जबकि चीन के ब्रांड्स दक्षिण-पूर्व एशिया और लैटिन अमेरिका के बाजारों पर हावी होंगे। वहीं, चीन, यूरोप और दक्षिण कोरिया में BEV की बिक्री ग्लोबल एवरेज से ज्यादा बनी रहेगी।”
अमेरिका और यूरोप में क्या हो रहा है?
मंडल ने बताया कि अमेरिका अपनी घरेलू ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को बचाने की पूरी कोशिश कर रहा है। और इसलिए चीनी EV कंपनियों को अपने बाजार में घुसने से रोक सकता है।
वे कहते हैं, “यूरोप पहले ही चीन के EV ब्रांड्स पर ज्यादा टैरिफ (आयात शुल्क) लगा चुका है, ताकि उनकी बिक्री को सीमित किया जा सके। आगे भी ये नियम जारी रह सकते हैं, जब तक कि चीनी कंपनियां यूरोप में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट नहीं लगातीं।”
भविष्य की ग्रोथ कैसी रहेगी?
रिपोर्ट के मुताबिक –
- 2025 से 2030 के बीच पैसेंजर व्हीकल मार्केट 3% CAGR की दर से बढ़ेगा।
- 2030 से 2035 के बीच ग्रोथ 2% CAGR रहेगी और 2035 तक कुल 105 मिलियन व्हीकल्स बिक सकते हैं।
- 2025 में पैसेंजर बैटरी EVs की बाजार में हिस्सेदारी 16% से ज्यादा हो जाएगी।
ऑटो कंपनियां कैसे EV को सस्ता बना रही हैं?
काउंटरपॉइन्ट के रिसर्च एनालिस्ट अभिक मुखर्जी ने बताया कि ऑटोमोबाइल कंपनियां अपनी प्रोडक्शन लागत कम करने के लिए नए तरीके अपना रही हैं।
अभिक मुखर्जी कहते हैं, “EVs को ज्यादा अफोर्डेबल बनाने और सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए कंपनियां प्रोडक्शन के बेहतर तरीके अपना रही हैं, बैटरी मैन्युफैक्चरर्स के साथ पार्टनरशिप कर रही हैं और लोकल सप्लाई चेन विकसित कर रही हैं।”
निष्कर्ष
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि 2024 में इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर की ग्रोथ शानदार रही और भविष्य में भारत और एशिया के देशों में यह और तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। EVs को सस्ता और ज्यादा किफायती बनाने की दिशा में ऑटोमोबाइल कंपनियां लगातार इनोवेशन कर रही हैं, जिससे आने वाले सालों में यह बाजार और तेजी से बढ़ेगा।