रमजान में रोजेदारों पर महंगाई की मार; आसमान छू रहे सेब-केले के दाम, फलों की कीमतें 50% तक बढ़ीं

रमजान में रोजेदारों पर महंगाई की मार; आसमान छू रहे सेब-केले के दाम, फलों की कीमतें 50% तक बढ़ीं

राजधानी में रमजान के पाक महीने में फल और सब्जियों की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। इफ्तार और सहरी के लिए जरूरी फल-सब्जियां अब लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं। बाजारों में सेब, केले, खजूर, तरबूज से लेकर अंगूर के दाम आसमान छू रहे हैं, जिससे रोजेदारों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हर साल रमजान में फलों और सब्जियों की मांग बढ़ती है, लेकिन इस बार महंगाई ने आम जनता की जेब पर भारी असर डाला है। 

इंद्रपुरी, राजेंद्र नगर, मोती नगर, करोल बाग, लाजपत नगर, कनॉट प्लेस, शादीपुर, उत्तम नगर और द्वारका की मार्केट में सेब 200 रुपए किलो, केले 100 रुपये दर्जन, अमरूद 150 रुपये किलो, अंगूर 150 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। ग्राहक परेशान हैं कि रोजा रखने के लिए जरूरी सामान खरीदना भी अब भारी पड़ा है।

फलों और सब्जियों के बढ़ते दामों से लोग परेशान
दिल्ली के कई बाजारों में फलों और सब्जियों के दामों में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है, जिसकी वजह से आम लोगों की जेब पर काफी असर पड़ा है। ऐसे में इंद्रपुरी निवासी अनिल गुप्ता ने बताया कि पहले जो फल किलो में खरीदे जाते थे, अब वही 250-500 ग्राम में लेने पड़ रहा हैं। वहीं, छोटे दुकानदारों को भी इस महंगाई का असर झेलना पड़ा है। करोल बाग के दुकानदार राजेश वर्मा ने बताया कि थोक में ही सब्जियां महंगी मिल रही हैं, जिससे ग्राहक भी कम हो गए हैं। रोजेदार सलमा ने बताया कि रमजान में इफ्तार के लिए फल जरूरी होते हैं, लेकिन महंगे दामों के कारण अब पहले जितनी खरीदारी करना मुश्किल हो गया है।

मंडी में सब्जियों की आवक घटी, दामों में उछाल
दिल्ली की आजादपुर, केशोपुर, नजफगढ़, गाजीपुर मंडी में फल व सब्जियों की आवक कम होने से उनके दामों में उछाल आया हैं। ऐसे में आजादपुर मंडी के थोक विक्रेता शहाबुद्दीन ने बताया कि हाल ही में फल की आपूर्ति में कमी आई है, जिससे दाम बढ़ गए हैं। रमजान के दौरान फलों की मांग बढ़ जाती है, क्योंकि रोजेदार इफ्तार में अधिक फल खाते हैं। उन्होंने बताया कि इस समय मंडी में माल कम आ रहा है, जिससे कीमतों में और उछाल देखने को मिला है। आमतौर पर, इस सीजन में मांग बढ़ने और आपूर्ति कम होने से दाम ऊपर चले जाते हैं। अगर सप्लाई सामान्य होती तो दाम स्थिर रहते, लेकिन अभी खरीदारों को महंगे दामों पर खरीदारी करनी पड़ी है।

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