सुप्रीम कोर्ट में वक्फ विधेयक को चुनौती देने की तैयारी; कांग्रेस जल्द खटखटाएगी अदालत का दरवाजा

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ विधेयक को चुनौती देने की तैयारी; कांग्रेस जल्द खटखटाएगी अदालत का दरवाजा

वक्फ संशोधन विधेयक को संसद के दोनों सदनों की मंजूरी मिल गई है। सरकार ने इसे पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा में विस्तृत चर्चा के बाद पास कराया। लोकसभा में 12 तो राज्यसभा में 13 घंटे तक विधेयक पर बहस हुई।

वक्फ संशोधन विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी होने लगी है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बाद अब कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि वह संसद में पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की संवैधानिकता को बहुत जल्द सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। विधेयक को शुक्रवार सुबह संसद ने मंजूरी दी थी। इसे पहले लोकसभा फिर राज्यसभा ने भी इसे मंजूरी दे दी थी।

विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाए DMK
इससे पहले वक्फ विधेयक को लेकर स्टालिन ने अदालत का दरवाजा खटखटाने का एलान कर दिया था। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन ने गुरुवार को कहा था कि उनकी पार्टी इस विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाएगी। लोकसभा से विधेयक पारित होने के विरोध में स्टालिन विधानसभा में काली पट्टी बांधकर पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा था कि भारत में बड़ी संख्या में दलों के विरोध के बावजूद कुछ सहयोगियों के इशारे पर रात दो बजे संशोधन को अपनाना संविधान की संरचना पर हमला है।

‘सरकार के सभी हमलों का विरोध करना जारी रखेंगे’
‘एक्स’ पर एक पोस्ट में एआईसीसी महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘कांग्रेस बहुत जल्द ही वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की संवैधानिकता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।’ उन्होंने कहा, ‘हमें पूरा भरोसा है। हम भारत के संविधान में निहित सिद्धांतों, प्रावधानों और प्रथाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के सभी हमलों का विरोध करना जारी रखेंगे।’

कांग्रेस ने गिनाए मामले , जिसे सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती
जयराम रमेश ने कहा कि सीएए, 2019 को कांग्रेस की ओर से चुनौती दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। आरटीआई अधिनियम, 2005 में 2019 के संशोधनों को लेकर भी कांग्रेस की चुनौती पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। चुनाव संचालन नियम (2024) में संशोधनों की वैधता को लेकर कांग्रेस की चुनौती पर भी सुनवाई जारी है। ऐसे ही पूजा स्थल अधिनियम, 1991 की मूल भावना को बनाए रखने के लिए कांग्रेस के हस्तक्षेप पर सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है।

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