यूपी पुलिस दरोगा भर्ती में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। दरोगा बनने के 40 माह बाद फिंगर प्रिंट मैच नहीं होने पर आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है।
उत्तर प्रदेश भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड की ओर से उपनिरीक्षक की परीक्षा में थाना सिकंदरा में 40 माह बाद दरोगा बने युवक के विरुद्ध सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम और धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज कराया गया है। यह केस फिंगर प्रिंट का मिलान नहीं होने पर कराया गया। पुलिस का मानना है कि दरोगा बने युवक की परीक्षा सॉल्वर ने दी थी। अब जांच की जा रही है।
इंस्पेक्टर सत्येंद्र कुमार ने एसआई बने निर्भय सिंह जादौन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है। लिखा है कि उप निरीक्षक नागरिक पुलिस, प्लाटून कमांडर पीएसी, अग्निशमन विभाग के लिए वर्ष 2020-21 में लिखित परीक्षा के माध्यम से सीधी भर्ती हुई थी। अभ्यर्थी निर्भय सिंह का सेंटर सिकंदरा क्षेत्र में यूपीएसआईडीसी लाइफ लाइन पब्लिक स्कूल स्थित यश इनफोटिक ऑनलाइन एग्जामिनेशन सेंटर में पड़ा था। चयन के बाद ट्रेनिंग हुई और तैनाती मिल गई।
लखनऊ हाईकोर्ट में संदीप परिहार व 28 अन्य नाम से एक याचिका दायर की गई। याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने आदेश दिए। आदेश के तहत चयनित अभ्यर्थी निर्भय सिंह जादौन के फिंगर प्रिंट का मिलान कराया जाना था। निर्भय सिंह का परीक्षा केंद्र और मेडिकल के समय बायोमेट्रिक हुआ था। भर्ती के बाद उसकी फिंगर प्रिंट लिया गया।
पूर्व में हुए बायोमेट्रिक के साथ नई छाप को मिलान के लिए अंगुली चिह्न को ब्यूरो लखनऊ भेजा गया। बायोमेट्रिक मैच नहीं हुए। पुलिस का मानना है कि भर्ती होने के लिए निर्भय सिंह जादौन ने अपने स्थान पर सॉल्वर को परीक्षा देने भेजा था। एसीपी हरीपर्वत आदित्य ने बताया कि विवेचना के दौरान आरोपी से यह पूछा जाएगा कि उसके बदले परीक्षा देने कौन आया था। इस मामले में सॉल्वर को भी आरोपी बनाया जाएगा।
बताया कि दरोगा बनने के लिए मचकौली, बुलंदशहर के निर्भय सिंह जादौन ने सॉल्वर से परीक्षा दिलाई थी। वह चयनित हो गया। ट्रेनिंग कर ली। तैनाती मिल गई। राज खुलने पर परीक्षा के 40 महीने बाद मुकदमा दर्ज हुआ है। मुकदमा उत्तर प्रदेश भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के निरीक्षक ने ऑन लाइन दर्ज कराया था। सेंटर आगरा के सिकंदरा थाने में था। विवेचना सिकंदरा पुलिस को मिली है।