दवा माफिया का राज बांग्लादेश के साथ ही 10 राज्यों में फैला है। पहली बार 2023 में वो पकड़ा गया। जेल से रिहा होने के बाद भी वो नहीं माना। इसके बाद उसने फिर से ये काला कारोबार शुरू कर दिया था।
आगरा में एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने दवा माफिया विजय गोयल को पहली बार 2023 में पकड़ा था। इसकी सिकंदरा और बिचपुरी क्षेत्र में नकली दवा बनाने की तीन फैक्टरी थी। जेल में बीते साल रिहा होने के बाद फिर से इसने नकली दवा बनाने का काला धंधा शुरू कर दिया था। इसका नेटवर्क बांग्लादेश के अलावा 10 राज्यों तक फैला हुआ था। इसके यहां जब्त दवाएं जांच में नकली मिली थीं।
बना ली थी फैक्टरी
सहायक आयुक्त औषधि अतुल उपाध्याय ने बताया कि ये हिमाचल प्रदेश से दवा से जुड़ी पुरानी मशीनों की खरीदकर फैक्टरी बना ली। यहां से दिल्ली समेत कई राज्यों से कच्चा माल लेकर कई तरह की नकली दवाएं और सिरप बनाता था। 2023 जुलाई में सिकंदरा और बिचपुरी की फैक्टरी से करीब 6 करोड़ की नकली दवाएं, कच्चा माल और मशीनें मिलीं।
आठ करोड़ की दवाएं हुईं जब्त
इसके बाद ये रिहा हो गया और बीते साल अक्तूबर में फिर इन्हीं क्षेत्रों में अवैध फैक्टरी पकड़ी गई। इसमें करीब 8 करोड़ की दवाएं समेत अन्य सामग्री जब्त की। इसके यहां से दोनों बार करीब 24 से अधिक नमूने लिए। दवाओं के सभी नमूने नकली मिले। एंटी नारकोटिक्स टॉस्क फोर्स की जांच में दवा माफिया विजय गोयल का काला कारोबार बांग्लादेश के अलावा दिल्ली, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब, पश्चिम बंगाल समेत 10 राज्यों में फैला हुआ था।